स्विमिंग में सबसे अधिक तैराक कंधो की चोट से पीड़ित होता है। कंधे की चोट में रोटेटर कफ इम्पिन्ग्मेंट भी शामिल होता हैं। रोटेटर कफ इम्पिन्ग्मेंट की मदद से ही हाथ को लिफ्ट करा सकते है कंधो को घुमा सकते है। बाइसेप्स तेंदोनितिस जोकि बाइसेप्स में होने वाली दर्दनाक सूजन है उससे भी कंधो में अस्थिरता आ जाती है। जिसमें कंधो के जॉइंट के चारों ओर के स्ट्रकचर कंधे के भीतर गेंद को सॉकेट बनाए रखने के लिए काम नहीं करते। इसके कारन थकान और रोटेटर कफ और कंधो के आसपास की मांसपेशियों में कमजोरी का कारन बन सकते हैं।
इस तरह से होने वाली इन चोटों को रोकने के लिए जरुरी है की कंधों को मजबूत बनाया जाये। यहाँ निचे एक एक अद्भुत कसरत दी गयी है जिससे आपके कंधों को मजबूती और उन्हें चोट से बचाया जा सकेगा:-
सुपरसेट 1: x5 = 60 रेप्स
बैठकर अर्नोल्ड प्रेस – 10 रेप्स
बैठकर डम्बेल प्रेस (एक ही वजन का प्रयोग करे) – 5 रेप्स
सुपरसेट 2: x5 सेट = 100 रेप्स
डम्बेल लेटरल रेसेस भारी वजन के साथ – 10 रेप्स
डम्बेल लेटरल रेसेस हल्का वजन के साथ – 10 रेप्स
रेयर बेल्ट क्रॉसओवर: 10 X10 = 100 रेप्स
अपराइट रो पिरामिड: X3 = 90 रेप्स
बारबेल अपराइट रो भारी वजन के साथ – 10 रेप्स
बारबेल अपराइट रो – भरी वजन से 30% तक वेट का इस्तेमाल करे – 10 रेप्स
बारबेल अपराइट रो – 30% फिर से कम करके वजन उठाये – 10 रेप्स
सुपरसेट 3: x5 = 100 रेप्स
केबल सिंगल लेटरल रेसेस- 10 रेप्स प्रत्येक हाथ से
केबल सिंगल लेटरल रेसेस – 10 रेप्स प्रत्येक हाथ
बारबेल मिलेट्री स्ट्रिक्ट प्रेस: 10 रेप्स x 5 = 50 रेप्स
= कुल 500 रेप्स
जब आप वजन का चुनाव करे तो आपको कोण सा वजन आपको अच्छा परिणाम देगा वो पूरा आपके उपर निर्भर करता है। ये आप ही सेलेक्ट करेंगे की किस वजन से आप कितना वर्कआउट कर सकते है और जिससे आपको अच्छा रिजल्ट मिल सके| किसी के लिए कम वजन के साथ वर्कआउट करना ज्यादा लाभदायक होता है जबकि किसी के लिए ज्यादा वजन के साथ वर्कआउट करने से लाभ होता है| आप अपने शरीर की सुने की कौन सा वजन आपके शरीर के लिए सही होगा|
लोअर बैक पैन
लोअर बैक पैन सभी उम्र के तैराक को प्रभावित करता चाहे वो 10 साल का तैराक हो या 38 साल दोनों को ही लोअर बैक पैन होने की बराबर संभावना रहती है|
इस पोस्ट में लोअर बेक पैन होने के कारण और उससे होने वाले खतरों से लेकर लोअर बेक पैन कैसे खत्म करे ये सब दिया गया है|
रीढ़ और एनाटॉमी का के फंक्शन:-
हमारी रीढ़ एक कशेरुका स्तंभ (हड्डियों) से मिल कर और लचीला “इंटरवेरतेबरल” डिस्क जो की तक़रीबन आधा इंच मोती होती है उससे मिल कर बनी होती है, जो रीढ़ की हड्डियों पर आने वाले लोड अवशोषित करने में मदद करती है। रीढ़ की हड्डी भी चार क्षेत्रों में बांटा गया है।(ग्रीवा, वक्ष, काठ, और त्रिकास्थि) काठ की रीढ़ की हड्डी में एक छोटा सा, प्राकृतिक आगे की ओर C के आकार का वक्र है, जो रीढ़ की हड्डी पर पड़ रहे लोड को फैलने में मदद करता है|
तैराकों को बैक पेन क्यों होता है?
कुछ तरह की तैराकी जैसे – सप्ताह में दो बार तैरना बैक पेन होने से बचाता है ये ऐसा भी कह सकते है की बैक पेन के प्रभाव को कम करता है|.
लेकिन ये सुरक्षात्मक कारक प्रतिस्पर्धी तैराकों में नहीं देखा जाता है क्युकी प्रतिस्पर्धी तैराको को काफी ज्यादा मेहनत करनी होती है प्रतिस्पर्धी तैराक अपने शरीर के मोशन को चरम सीमओं तक ले जाते है
यदी एक तैराक को रूप ध्वनि बायोमैकेनिक्स का अभाव है तो वह एक “मुसकोलोस्केलटेल” चोट से जोखिम होता है या फिर इस चोट लगने की संभावना होती है| लोअर बैक पेन भी शरीर पर असामान्य रूप से जोर दिये जाने के साथ होता है जैसे कोई तैराक पानी में गलत तरीके से स्विमिंग करता है(सर और बॉडी की पोजीशन गलत होना) तो लोअर बैक पेन होने की संभावना बोहोत बढ़ जाती है|
“बटरफ्लाई और ब्रेस्टस्ट्रोक स्विमिंग में लोअर बेक पर ज्यादा जोर पड़ता है इसलिए इन दोनों स्ट्रोक को करते वक्त ज्यादा ध्यान देना चाहिए|”
लोअर बैक पेन के उपचार:-
अगर आपकी स्विमिंग तकनीक सही है तो आपको लोअर बैक पेन होने की संभावना आम तैराको से 90% तक कम होती है इसलिए सही स्विमिंग तकनीक बोहोत जरूरी है| रीढ़, कमर,आर्म में फ्लेक्सिबिलिटी(लचीलापन) होना जरुरी है, कोच द्वारा बताये गये वर्कआउट को ठीक से प्रैक्टिस करने से ना सिर्फ आपका परफॉरमेंस अच्छा होगा बल्कि ये आपको बैक पेन जैसी चोटों से भी बचाएगा|
बैक पेन होने के बाद सबसे पहले किसी फिजिशियन को दिखा कर राय लेनी चाहिए, खासकर तब जब तैराक को पहले कभी बैक पेन ना हुआ हो|
नीचे कुछ व्यायामो का नाम दिया गया है जो कोर को मजबूत बनाने और पीठ दर्द(बैक पेन) को रोकने और पानी में प्रदर्शन में सुधार करने के लिए हैं।
- कैट – डॉग स्ट्रेच
- हिप फ्लेक्सोर स्ट्रेच
- कोबरा स्ट्रेच
- रसियन ट्विस्ट
- रीमलाइन क्रंचस