नेशनल, इंटरनेशनल गेम्स के पहले के कैम्पस के बारे में हम लोग जानते ही है इन कैम्पस की अवधी तो कम होती है लेकिन इन कैम्पस के समय जो अभ्याश कराया जाता है वो नार्मल अभ्याश से काफी ज्यादा हार्ड होता है, कभी कभी तैराक बस वर्कआउट को किसी तरह पूरा करके जाने के बारे में ही सोचते है, बार बार घडी को देखते है, वर्कआउट में कितना बचा है उसपर नज़र बनाये रहते है|
यहां कुछ कारण ऐसे दिए हुए है जो तैराको की मानसिक स्थिति को तोड़ देती है, जो इन सब कठिन वर्कआउट के दौरान उनको लगता है:-
1.”कोच वहाँ पर क्या कर रहा है ????”
- लिए गये निर्णय पर खेद
- “ठीक है, यह इतना बुरा नहीं है”
- दिमाग की उपज
1.”कोच वहाँ पर क्या कर रहा है ????”
आत्मविश्वास घबराहट को दूर कर देता है जब आप सूचना है कि अपने कोच के दस मिनट के लिए व्हाइटबोर्ड के पास गया है क्युकी एक हार्ड वर्कआउट में 10मिनट भी बेहद आरामदायक होता है लेकिन जब आप देखते है की वाइटबोर्ड पर ब्लैक इंक से कुछ लिखा जा रहा है और उस 10मिनट के साथ वो वाइट बोर्ड धीरे धीरे ब्लैक इंक से भरता जा रहा है तो आपकी घबराहट बढती है क्युकी आपका कोच 10मिनट के लिए वार्मअप के बाद का वर्कआउट, मेन सेट,स्प्रिंट के वर्कआउट लिखने गया हुआ रहता है| अक्सर इसी के बाद ही तैराको को पेट दर्द, सर दरद होना शुरू हो जाता है 😉 |
- लिए गये निर्णय पर खेद
रॉन बरगंडी के शब्द इस बिंदु पर आसानी से लागू होते हैं। आप सोच रहे हैं क्यों पृथ्वी पर आपके फैसले ने तैराकी को पसंद किया जब तुम छोटे थे, कुछ तैराक सोचते होंगे कि क्योंआपके माता-पिता ने आपको टेबल टेनिस, पियानो क्लास, टेनिस में नहीं डाल दिया| आप अपने स्कूल के दोस्तों के बारे में सोचते है की सूबे वो आराम से बेड पर से सोकर उठते है जबकि आप सायद उस टाइम पूल के अंदर अपने कोच से सूबे का वर्कआउट डिसकस कर रहे होते है| आप अपने स्कूल के दोस्तों के आराम के बारे में सोच सोच के खुद को दुखी होते रहते है|
- “ठीक है, यह इतना बुरा नहीं है”
मेन सेट के शुरू के २ या ३ राउंड के बाद आपका कॉन्फिडेंस टूटने लगता है जोकि अब तक अपका सबसे खराब डर है,
(1) अपके आर्म्स गिरने लगते है
(2) ऊर्जा और तकनीक की कमी
तो यह मूल रूप से एक जीत है। आपको वास्तव में सिर्फ इसको सही से करना पड़ता है!
- दिमाग की उपज
याद रखें कि आशा और विश्वास, मजाक कर रहा हूं! संदेह और निराशा तुमको उस समय हेल्प करते है जब अपकी मांसपेशियों और फेफड़ों आपका साथ देने में असफल होना शुरू कर देते है। यह कोई बड़ी प्रॉब्लम नहीं है लेकिन जब आप आधे वर्कआउट को खत्म कर लेते है तो आपके दिमाग में यह बात चलने लगती है की अभी और कितने एनर्जी चाहिए इस वर्कआउट को कम्पलीट करने के लिए और इसी को सोचते सोचते आपके मसल्स में सच में चुबन होने लगती है, और आपके अंदर एक दर बनने लगता है|