हम सभी तैराको के पास कुछ ना कुछ यूनिक लक्ष्य होता है और जिसे वो तैराकी में प्राप्त करना चाहते हैं, हर एक खेल में लक्ष्य को प्राप्त करते वक्त कुछ ना कुछ अनुभव होता है आज उसी के बारे में ये पूरा आर्टिकल है:-
यहाँ पर उनमें से 3 अनुभवो को लिखा गया है जो प्रतिस्पर्धी तैराकों को पता है और वे बहुत अच्छी तरह से वाकिफ भी हैं:-
- प्राणपोषक और निरंकुश गर्व अपने पर्सनल बेस्ट टाइम को पाने का
यह सब एक पल में होता है आप पूरी तेज़ी से पूल के वाल को टच करते है और उप्पर डिजिटल घडी की और देखते है जो डिजिटल संख्या दिखाती है कि आपका हमेशा का सपना होता है की आप अपने पर्सनल बेस्ट टाइम को तोड़े।
आपने यह सब अनुभव जरुर किया होगा:- गौरव, संतुष्टि, खुशी, राहत, और संभावना की भावना, जो सिर्फ कड़ी मेहनत के साथ संभव है। यह एक पुरस्कृत क्षण है और और इन्ही कारणों से हम सूबे जल्दी उठ के वर्कआउट पर जाकर एक अच्छे वर्कआउट को करते है।
- असंभव वर्कआउट का कांसेप्ट।
मुझे आपके कोच के बारे में तो पता नहीं है लेकिन मुझे अपना एक दिन याद है जो कि असंभव वर्कआउट के बारे में है। उन्होंने कहा की 4-5 दिन बाद एक बहुत की कठिन वर्कआउट होगा जो बहुत कठिन बहुत हार्ड है। और कहते थे की वह देखना चाहते है हम में से कितने तैराक इसे खत्म करने में सक्षम रहेंगे|
अब मैं समझता हूँ कि वह क्या कर रहे थे, हमें मानसिक रूप से स्ट्रोंग बनाने की कोशिश जिससे कठिन से कठिन चुनौतियों का सामना किया जा सके| और एक जोड़ी तैराकों तो अनिवार्य रूप से कहना होता था कि वे सत्र से पहली वाली रात को बीमार हो गए थे।
लेकिन एक बार हम सभी जब वर्कआउट कर रहे होते थे तो पता चलता था की ये तो रोज के वर्कआउट से थोडा ही कठिन था|
- रेस में पूरी जान से तैरे लेकिन फिर डिजिटल बोर्ड पर DQ आ गया
स्टार्ट एक पल में शुरू होता है, अपने पिछले सरे वर्कआउट पूरी मेहनत से किये है, आपका स्ट्रोक रिलैक्स, पावरफुल और स्मूथ है|
अपने रेस में अपना 100% दिया अपने पूल वाल को टच करके सीधे डिजिटल बोर्ड की तरफ देखा इस आशा से की अपने अपना पर्सनल बेस्ट का टाइम तोडा है, फिर आपको अपने नाम की आगे DQ नजर आता है फिर आपका मन एक निराशा की भावना से टूट जाता है|