कई लोगो के लिए, ये बिलकुल सीधा प्रश्न है की एक कोच उसकी जॉब में क्या पसंद है और एक कोच को इस जॉब में क्या क्या करना पड़ता है? और किस चीज़ के एक कोच हमेसा परेशान रहता है? तो इन सब का एक ही उत्तर है की एक कोच की जॉब उनके तैराको के परफॉरमेंस को अच्छा से अच्छा करने की होती है और इसलिए “सफलता एक कोच की संतुष्टि में अपरिहार्य(inevitable) है।“
- कनेक्शन बनाना
कोचिंग ही टीचिंग है और हम सभी लोग चाहे वो जिस भी खेल से हो हम सब काफी टाइम अपने कोचिंग में लगाते है, हम सभी कोच अपने खिलाडियों की स्किल्स, टेकनिक, रेसिंग स्ट्रेटगी, और लाइफ स्किल्स पर पूरा ध्यान देते है, लाइफ स्किल्स जैसे :- कैसे निराशा से उभर कर अच्छा परफॉरमेंस भविष्य में किया जा सकता है| जब हमारे तैराक एक परफेक्ट टर्न मारने में उस्ताद या कोई भी हार्ड सेट को आराम से करने में माहिर हो जाते है तो हमको गर्व होता है की तैराक हमलोग की बतायी गयी टेक्निक को अप्लाई कर रहे है और अपने लक्ष्य को पाने के लिए सही रस्ते पर है क्युकी उनका लक्ष्य हमारा लक्ष्य होता है|
- एक चुनौती को गले लगाना
कोई भी आदमी एक बात पर बहस नहीं कर सकता हैं कि तैराकी शारीरिक सकती की मांग वाले खेलों में से एक है। competitive तैराक 11-12 महीने जैसे वर्कआउट करते है वैसा किसी खेल में नहीं है और इसका सबसे अच्छा उदहारण Michael Phelps का है| 1/10sec कम करने के लिए आपको सिर्फ 11 महीनो तक प्रक्टिस पर जाना ही नहीं होगा उसके साथ भी काफी चीज़ होती है जो एक तैराक को करनी पडती है| तैराक के साथ साथ हम कोचों को भी उसके साथ उतनी ही मेहनत पूल के बहार करनी पडती है और साथ ही साथ हम लगातार अपने तैराको को मोटीवेट करते है|
कठिन सेट हमेसा बोरिंग और लम्बे नहीं होते बल्कि कभी कभी challenging होते है और जब हम सभी कोच अपने तैराको को उस सेट को अच्छी तरह से करते हुए देखते है तो हमे भी अच्छा लगता है, हम लगातार यही सोचते है की तैराको को किस तरह से और क्या वर्कआउट दिया जाए की उनको पसंद आये|
- ग्रो उप
सभी महान कोच लोगों के पास अपने काम के लिए दो जुनून होते है, “खेल के लिए जुनून, खिलाडियों के लिए जुनून” स्विमिंग के कोच बहुत अलग होते है क्युकी स्विमिंग के एक seasons 3 गुना ज्यादा होते है एक फुटबॉल के seasons से, और हमे इसमें जीत और हार दोनों का सामना करना पड़ता है क्युकी कभी कभी ये कोर्स कुछ years का हो जाता है और इसके साथ ही साथ कोच भी अपनी बात ग्रुप में सहरे करते है और हां, हम कोचों को अपने तैराकों के पूल के बहार के जीवन को जानने में अच्छा लगता है|
- Thank You कहना
ये दो शब्द बहुत मायने रखते है एक कोच के लिए जब किसी तैराक के माता-पिता हम कोचों को बोलते है लेकिन इससे भी अच्छा तब लगता है जब कोई तैराक हमको सामने से आकर Thank You! कहता है| Thank you कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को कह सकता है इसमें उम्र को नहीं देखा जाता, एक कठिन दिन भी हम लोग के लिए आसन हो जाता है जब कोई तैराक हम कोचों को Thank you कहता है|